जयप्रकाश नारायण और जनेऊ तोड़ने का जिसपर अटल बिहारी ने लिखी थी कविता
जयप्रकाश नारायण, जिन्हें जेपी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति के एक महान नेता और समाज सुधारक थे। उनका जीवन और कार्य न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहे, बल्कि उन्होंने सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की स्थापना के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक विशेष घटना ने उनकी विचारधारा और नेतृत्व की शक्ति को और भी उजागर किया, और वह थी 1974 में जनेऊ तोड़ने का आंदोलन।
1974 में, बिहार के छात्र समुदाय ने भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया। जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और इसे “संपूर्ण क्रांति” का नाम दिया। उनका मानना था कि इस क्रांति के माध्यम से भारत को एक नया सामाजिक और राजनीतिक दिशा दिया जा सकता है।
जनेऊ तोड़ने की घटना
इस आंदोलन के दौरान, जेपी ने सामाजिक असमानता के प्रतीक के रूप में जनेऊ को पहचानते हुए लोगों से इसे तोड़ने की अपील की। जनेऊ, जो कि ब्राह्मणों और कुछ अन्य जातियों के लिए धार्मिक और सामाजिक पहचान का प्रतीक था, को तोड़ने का निर्णय एक प्रतीकात्मक आंदोलन था। यह एकता, समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम था।
इस अपील पर, लगभग 10 लाख लोगों ने अपने जनेऊ तोड़ दिए। यह न केवल एक सामाजिक आंदोलन था, बल्कि इसने जातिवाद और असमानता के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी दिया। इस घटना ने देशभर में हलचल मचाई और अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया।
परिणाम
जयप्रकाश नारायण का यह आंदोलन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इसने जनता के बीच एक नई चेतना जागृत की और समाज में परिवर्तन की लहर उत्पन्न की। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, भारत में एक नया सामाजिक और राजनीतिक वातावरण तैयार हुआ, जो आगे चलकर 1977 में आपातकाल के बाद की सरकार के गठन में सहायक साबित हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता
इस अवसर पर, अटल बिहारी वाजपेयी की एक प्रसिद्ध कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” की पंक्तियाँ हमें इस आंदोलन के उद्देश्यों की याद दिलाती हैं। इस कविता में उन्होंने एकता और सामूहिकता के महत्व को बताया है, जो जेपी के आंदोलन का भी मूलमंत्र था:
“कदम मिलाकर चलना होगा,
एक बार फिर से,
हर दीवार को तोड़कर,
एक नई सदी में,
एक साथ कदम बढ़ाना होगा।”
निष्कर्ष
जयप्रकाश नारायण की सोच और नेतृत्व ने भारतीय समाज में गहरा प्रभाव डाला। जनेऊ तोड़ने की घटना ने न केवल एक सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया, बल्कि यह भारतीय समाज में जातिवाद और असमानता के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक भी बनी। यह घटना आज भी हमें याद दिलाती है कि परिवर्तन की शुरुआत समाज के भीतर से होती है, और जब लोग एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी व्यवस्था को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की कविता भी हमें इस एकता की ओर प्रेरित करती है, जिससे हम सब मिलकर एक नया और समान समाज बना सकें।
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