दक्षिण चीन सागर की शांति: मोदी का ASEAN-भारत सम्मेलन में दृष्टिकोण
भारत और ASEAN देशों के बीच संबंधों में मजबूती लाने के लिए आयोजित ASEAN-भारत सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण चीन सागर की शांति और स्थिरता पर विशेष जोर दिया। इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सभी देशों को अपने समुद्री अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।
दक्षिण चीन सागर का महत्व
दक्षिण चीन सागर न केवल एक रणनीतिक मार्ग है, बल्कि यह विभिन्न देशों के लिए आर्थिक संभावनाओं का भी केंद्र है। यहां पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों और समुद्री व्यापार मार्गों के कारण यह क्षेत्र विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। मोदी ने बताया कि इस क्षेत्र की स्थिरता से न केवल आसियान देशों को, बल्कि पूरे एशिया और विश्व को लाभ होगा।
शांति और सहयोग की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में सहयोग और संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी देशों से अपील की कि वे विवादों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करें, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे। उनका मानना है कि किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधियों से स्थिति और बिगड़ सकती है।
भारत की भूमिका
भारत ने हमेशा से क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा का समर्थन किया है। मोदी ने कहा कि भारत दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। भारत का दृष्टिकोण है कि सभी देशों को अपने अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार के unilateral कदमों से बचना चाहिए।
निष्कर्ष
ASEAN-भारत सम्मेलन में मोदी के विचारों ने यह स्पष्ट किया कि दक्षिण चीन सागर की शांति न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। सभी देशों को एक साथ आकर मिल-जुलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि इस रणनीतिक क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित की जा सके।
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